Monday, April 25, 2011

समय की परिभाषा

क्या दुनिया की रीत है
कहाँ सच की जीत है
कौन है सबसे महान
कौन सबसे है बलवान
किसे सच का है ज्ञान
क्या है सबसे मूल्यवान
कहाँ सबसे अँधियारा है अँधेरा
है कहाँ सबसे सुन्दर सवेरा
कहाँ प्यार पनपता है
कहाँ सबसे तेज सूर्य चमकता है
किसके आगे नतमस्तक है भगवान्
अंतर  में गूंजते यह सवाल|
बोले गुरु देख यह मंथन
समझ धारा के भावो को 
जीवन के इन सवालों को
सबका है एक ही निदान
रुकता नहीं जो व्यवधानो से
तप से,ना कटारों से
सबसे प्रबल जिसका प्रहार
जिसकी  गति बेमिसाल
 भाव मोह से परे की गाथा
  यही है समय की परिभाषा|
 

Saturday, April 23, 2011

बुरा खुदा

उझडा जो आशियाँ तेरा,
क्यूँ आँखें तेरी नम हुई,
देख पलट जूती अपनी 
कितनी माटी है लगी हुई ,
कितने आशियाँ फूके तुमने,
जाने कितनी राहे वीरान की
दोष दूजो का समझ आता है,
बस गुनाह अपना छुट जाता है|
दूध के धुले है सब,
बुरा होने को बस खुदा बच जाता है|
शायद दोष है खुदा का,
जो तुझे सक्षम बनाया,
दी शक्ति बुद्धि की मगर 
आत्ममंथन ना सीखा पाया,
सुखो के मंदिर तोड़,
सुख को खोजता है,
दूजो के दर्द दे कर 
ख़ुशी  की लालसा है,
देख यह रूप अब तो,
दानव भी देव लगता है,
दूध के धुले है सभी
बुरा होने को तो बस खुदा बचता है|

Sunday, April 10, 2011

दोराही ज़िन्दगी

कोई सच कहे तो  ज़माना टोकता है,
झूठ कहे तो अजब अफसाना होता है,
ख़ामोशी जाने क्या बयां कर जाती है,
किसी को दोस्ती का रस,
किसी को द्वेष का बोध कराती है ,
जाने जिंदगी क्या चाहती है|



ज़माना कभी किसी का हुआ नहीं,
हर दिल को कभी किसी ने जीता नहीं,
खुद दुनिया बनाने वाला भी,
आधे जगत के लिए बुरा बन जाता है,
खुद खुदा पर भी ना रहम खाती है,
जाने जिंदगी किसकी साथी है |
मौत भी एक अजब राह है, 
हर सवाल का जवाब बन जाती है,
इस पर हर उलझन सुलझ जाती है,
हर भलाई जीवन की आसूं बनती है,
और दुनियां में सिर्फ अर्थी के पीछे ही 
हर जुबां से तारीफ सुनी जाती है|
जाने  जिंदगी क्यूँ इतना इठलाती है|
यह दो राही ज़िन्दगी 
हर  मुस्कराहट चुरा ले जाती है
मौत के बाद ही 
तोहफा ख़ुशी का दे पाती है |
जाने यह कैसी
जिंदगी  की पहेली है |