Saturday, September 1, 2012

याद


लफ्जों में अपनी जिंदगी को,
यूँ बयां कर सकते नहीं,
कई अक्स ऐसे होते है,
जो ज़हन में जिंदा होते है,
मगर कलम से गुज़र
कलाम में उतरते नहीं|
कई मंज़र दिल की गहराई में,
रह कर अपनी हस्ती बनाये है,
यारों वाकिफ तुम भी हो,
वाकिफ मैं भी हूँ मगर,
हमारे सिवा उनको और कोई,
महसूस कर दिल में रख सकता नहीं,
यादों को यूँ ही संजोये रखना,
क्या जाने कब आँखों के पानी में,
उन मंज़रो का दीदार  हो जाये|

6 comments:

  1. अच्छी रचना के लिए बधाई |
    आशा

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  2. बहुत सुन्दर
    भावप्रवण रचना...

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  3. सच है कई यादें शब्दों में नहीं उतर सकतीं ...
    बहुत सुब्दर ...

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  4. वाह ... बेहतरीन ।

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  5. very intense lines...keep it up!!

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