Wednesday, June 23, 2010

मोहब्बत की ज़िन्दगी

कुछ ख्वाब कुछ ख्वाहिशे,
कुछ यादें कुछ रंजिशे,
कुछ दर्द  कुछ अनकहीं  बातें,
वो छलकते पैमाने,वो टूटते पैमाने,
वो प्यासी मरुभूमि,वो तपती मरुभूमि,
सबका मांझी फैसला करता है,
पर किसी की एक मुस्कराहट ही काफी है,
मांझी के कपट को छलने के लिए,
बस याद  ही काफी है ,
यह ज़िन्दगी जीने के लिए|
खुदा की खुदाई से कोई शिकवा नहीं है,
उनकी बेवफाई से भी कोई शिकायत नहीं,
 ज़िन्दगी की तो चाह  ही कब की,
हमे तो मौत की भी ख्वाहिश  नहीं,
उनकी बस एक ख़ुशी की खातिर,
गमो का सागर भी  पीते हुए, 
हर पल दुआ कर सके उनके लिए,
इतना ही काफी है,
यह जिंदगी जीने के लिए|
उनकी राहों  के कांटे सभी,
हम अपनी झोली में समेटे,  
उनको दर्द दे उन हवाओ को,
बन पर्वत खुद पर रोके, 
वे हमारे हो ना सके ,
ये कसक तो है मगर,
हम वफ़ा कर उनसे,
सारी खुशियाँ जुटा ले उनके लिए,
बस  यही  ख्वाहिश  है,
यह ज़िन्दगी जीने के लिए|

1 comment:

  1. शुक्रियां मेरे कृति को सराहने के लिए में हर दम आप लोगो की आशानुरूप अच्छी काव्य रचना कर सकूँ ऐसा आशीष रहे|

    -----अखिलेश रावल

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