Thursday, September 9, 2010

हुनर जानते है

गमो को मुश्कुराहट में दबा जाते है,
बिन बोले ही हर बात समझ जाते है,
तुम हमें अपना समझो न भले,
हम तो तुमसे आज भी रिश्ता निभाते है,
सुखो में साथी बन ना सके,
गम में संगी बनना जानते है|
दिल से भले ही निकाल दिया,
मगर तार दिलो के टूटे नहीं है
आपके दिल की धड़कन में बेचैनी,
मीलो दूर से भांप जाते है,
देख आपकी आँखों के में  आंसू,
दरिया भर हम भी रो जाते है,
  तनहा राहों में हो हम भले  ,
अनजानी राहों में  साथ निभाना जानते है|
तुम्हारे दर्द को देख रूह कांप जाती है,
देह से विदा लेने को आतुर हो जाती है,
तन में शीतल रक्त बहने लगता है 
धड़कन भी शिथिल हो जाती है
निर्विचार मस्तिष्क होता है,
जिव्हा निस्वाद हो जाती है,
अपना ना सको कोई गम नहीं,
पर तुम्हे पराया बनना ना जानते है|
तुम्हारी एक कसक ही काफी है,
हमे मतवाला करने को,
तुम्हारी एक पुकार ही काफी है,
हमारी राह बदलने को,
तुम्हारी एक ख़ुशी ही काफी है,
हमारी जान दाव लगाने को,
तुम राह के कांटे ना चुनने दो,
तुम्हारी राह में बिछ जाना जानते है|
हम साथ ना हो तो क्या हुआ,
हम तो तुम्हारी खातिर,
मौत से भी जीत जाने का हुनर जानते है|

2 comments:

  1. तुम्हारे दर्द को देख रूह कांप जाती है,
    देह से विदा लेने को आतुर हो जाती है,
    तन में शीतल रक्त बहने लगता है
    धड़कन भी शिथिल हो जाती

    ye to pyar ki paraakashtha hai.
    bahut sunder ehsason se sanklit rachna.
    badhayi.

    हर पल होंठों पे बसते हो, “अनामिका” पर, ... देखिए

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