Friday, March 18, 2011

कैसे कहूँ


तुझे कैसे कहूँ
तू क्या है मेरे लिए
मेरी आँखों में सच
तू पढ़ पाती नहीं
तेरे सामने यह जुबां
दिल का हाल बयां
कर पाती नहीं
डर है खो ना दूं तुझे
पाने की फितरत में
तभी ख़ामोशी की यह
दिवार मेरे ख्वाबो की
चोट से टूटती नहीं  
है तेरी नज़र में मोहब्बत
जिसे मैं देख पाता हूँ  
पर कहीं वो मेरी
ख्वाहिशो से उपजी
मरीचिका तो नहीं
तू मेरे साथ है
इसका ही सुकून है
तेरा अक्स हर दम
मेरी निगाहों में है
क्या यही कुछ कम है
खबर नहीं मुझको
क्या पाना चाहता हूँ
इज़हार मोहब्बत का कर
मेरी हर राह की
मंजिल है तू
शायद अब मंजिल
पाना चाहता हूँ
पर तुझे कैसे कहूँ 
तू क्या है मेरे लिए

7 comments:

  1. बड़ी प्यारी मनभावन रचना .....बहुत बढ़िया ..... होली की हार्दिक शुभकामनायें

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  2. होली की शुभकामनायें...... हैप्पी होली

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  3. प्रशंसनीय.........लेखन के लिए बधाई।
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    देश को नेता लोग करते हैं प्यार बहुत?
    अथवा वे वाक़ई, हैं रंगे सियार बहुत?
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    होली मुबारक़ हो। सद्भावी -डॉ० डंडा लखनवी

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  4. वाह ............अति सुन्दर

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  5. बड़ी प्यारी मनभावन रचना| धन्यवाद|

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