Monday, April 25, 2011

समय की परिभाषा

क्या दुनिया की रीत है
कहाँ सच की जीत है
कौन है सबसे महान
कौन सबसे है बलवान
किसे सच का है ज्ञान
क्या है सबसे मूल्यवान
कहाँ सबसे अँधियारा है अँधेरा
है कहाँ सबसे सुन्दर सवेरा
कहाँ प्यार पनपता है
कहाँ सबसे तेज सूर्य चमकता है
किसके आगे नतमस्तक है भगवान्
अंतर  में गूंजते यह सवाल|
बोले गुरु देख यह मंथन
समझ धारा के भावो को 
जीवन के इन सवालों को
सबका है एक ही निदान
रुकता नहीं जो व्यवधानो से
तप से,ना कटारों से
सबसे प्रबल जिसका प्रहार
जिसकी  गति बेमिसाल
 भाव मोह से परे की गाथा
  यही है समय की परिभाषा|
 

5 comments:

  1. बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति।

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  2. bahut acchee soch kee upaj hai ye kavita........
    prabhavit kar gayee...
    aabhar

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  3. प्रभावित करते भाव...बहुत सुंदर

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  4. NEHA..

    Bahut sunder chitran kiya aapne samay ka...
    sunder evam rachnatmak racchna...:)

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  5. बहुत सुंदर परिभाषा दी.
    घुघूती बासूती

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