Monday, December 3, 2012

इश्क से बढकर है दोस्ती

जिंदगी का हर मोड आशिकी नहीं,
यारो तुम्हारे बिन यह जिंदगी नहीं,
एक मतवाले की तरह जाने क्यूँ,
परछाई को पकड़ने की आस करता था,
जाने क्यूँ पवन को मुट्टी में कैद करने का,
हर दम असफल असंभव प्रयास करता था,
जिंदगी की खुशी तुम्हारी दोस्ती से है,
गम का सागर मिला मुझे, आशिकी से है,
जिसे नूतन अमृत कलश समझा ,
वो तो हलाहल सा विष निकला
काश समझ जाता क्या है असल,
जीवन और कहाँ महज़ दर्पण है,
मेरे अश्को को देख दर्द तुमको है
मेरा महबूब तो दर्द में संग ही नहीं,
काश समय पथ पर पहले खबर होती
जिंदगी का हर मोड आशिकी नहीं,
यारी ही हर कदम है संग होती|
जाने किसने इतने प्रेम ग्रन्थ लिखे ,
जाने कौन इश्क को खुदा कह गए ,
जाने क्यूँ ज़माने में आज भी इबादत ,
यूँ इश्क के खुदा की है होती ,
शायद ज़रूरत है खुदा की उनको,
जिन्हें इश्क पर यूँ एतबार है  ,
सच्ची दोस्ती मिलने पर ,
खुदा की ज़रूरत ही नहीं होती ,
जो दोस्त मिले महबूब में ,
तो जिंदगी में  सुकून होता होगा ,
लड़खड़ाते कदमो को संबल मिलता होगा ,
जिंदगी का हर मोड आशिकी नहीं,
यारो तुम्हारे बिन यह जिंदगी नहीं
यकीन करो  लहू अश्क बहा समझा हूँ
इश्क से बढकर होती है दोस्ती |

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