Saturday, June 26, 2010

असमंजस ज़िन्दगी का

बदलते युग में हर कदम पर,
ज़िन्दगी एक सवाल से टकराती है,
ध्येय क्या है ज़िन्दगी का,
क्या राज है खुदा की खुदाई का,
क्यूँ किसी को दर्द,
किसी को रंजिशो का संसार,
तो किसी को सुख-समृद्धि,
किसी को प्रेम का उपहार दिया,
क्यूँ दर्द दे भी मुस्कुराती है, 

रह खामोश सवालों पर जिंदगी,
जाने क्या क्या सिखलाती है| 

क्या अंतर  है दर्द,और ख़ुशी की राहों में,
क्यों अंतर है अपने और परायों में ,
क्यों हर प्रेम में एक सा सोन्दर्य नहीं,
क्यूँ हर फूल माली को मनमोहक नहीं,
क्यूँ किसी शाख पर कईयों का बसेरा,
तो किसी पर वीराने का पहरा है,
क्यूँ हर शाख आशियाँ नहीं बन पाती है, 
हो खामोश इस पर भी,
जाने क्यूँ ज़िन्दगी इठलाती है|
संतों की वाणी में,
कवियों की लेखनी में ,
वृद्धो की आँखों के अनुभव में,
प्रकति के कोतुहल में,
सुना है जवाब बसा है,
पर उसे कोई समझ ना सका है,
दर्द के असीम सागर में,
क्यूँ सुख की महीन रेखा है,
क्यूँ यह धुप छाँव का खेल रचाती है, 
गम और ख़ुशी की आँख मिचोली में,
जाने क्यूँ ज़िन्दगी हमे सताती है|
सवाल है कई पर,
रह खामोश इस तरह,
जाने जिंदगी क्या सिखाती है |

4 comments:

  1. बहोत अच्छा
    भारत प्रश्न मंच आपका स्वागत करता है. http://mishrasarovar.blogspot.com/

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  2. ज़िंदगी खुद ही प्रश्न है...अच्छी प्रस्तुति

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  3. awsome man!!! jz njoyed every line of it!!! gud wrk ...keep it up!!

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  4. शुक्रियां मेरे कृति को सराहने के लिए में हर दम आप लोगो की आशानुरूप अच्छी काव्य रचना कर सकूँ ऐसा आशीष रहे|

    -----अखिलेश रावल

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