Thursday, September 23, 2010

खुनी मेला लगने को है

खुनी मेलो की तेयारियां हो गयी है,
इंसानियत की कब्र खुद रही है,
रिश्तों चिताये सज गयी है,
बस चिंगारी देने की देरी है |
उत्सव  राम-अल्लाह के दर पर होगा,
स्वर्ग पाने की लालसा में ,
अवतरित ज़मीं पर जहन्नुम  होगा ,
जख्मो के होंगे आभूषण ,
कराह का सुरीला सुर होगा ,
काली रात आ गयी है ,
बस चिंगारी देने की देरी है| 
कांटे अब डगर पर होंगे नहीं,
लाशो के कालीन बिछने को है,
होगी सांझ रंग-बिरंगी यारो,
विधवा की साडी के रंग उतरने को है,
शांत  घर का आंगन होगा ,
किलकारियां अब खोने को है,
अश्रु धार शुरू हो गयी है,
बस चिंगारी देने की देरी है|
रोकने को बढते कदम हमारे,
चाहे जितने हथकंडे अपना ले,
बैरी अब ना जीत पायेगा ,
इस मौत का मोहोत्सव में ,
देशप्रेमी बन हैवान आएगा,
लाल जमीं हो गयी  है ,
बस चिंगारी देने की देरी है|
हे वीर-शूरवीर जाते हुए उत्सव में,
बच्चों की खिलोने,बीवी का सिंदूर,
बाप की लाठी ,माँ की आँखों का नूर,
मोल की खातिर लेते जाना,
गम की बोलियां लगनी है,
दर्द की दुकाने सज गयी है,
बस  चिंगारी देने की देरी है|

5 comments:

  1. उत्सव राम-अल्लाह के दर पर होगा,
    स्वर्ग पाने की लालसा में ,
    अवतरित ज़मीं पर जहन्नुम होगा ,

    Great Lines man. :) Love them.

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  2. Akhilesh rachana bahut sunder hai....par bhaybheet kar gayee.....
    toofan aane ke pahile hee khudkashee karne walee baat hogayee....
    itana nakaratmak ravaiya vo bhee bhavee krndharo se..........ye ummeed nahee thee........
    chingaree bhadkane hee nahee dena hai.........
    yuva varg chahe to kya nahee kar sakta.......
    mujhe bahut vishvas hai aapse aapkee peedee se.........
    Positive attitude please........

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  3. भय का वातावरण तो है ,लेकिन ऐसा नहीं होने देना है ।

    एक निवेदन:
    कृप्या वर्ड वेरीफीकेशन हटा लें
    वर्ड वेरीफिकेशन हटाने के लिए:
    डैशबोर्ड>सेटिंग्स>कमेन्टस>
    Show word verification for
    comments?>
    इसमें ’नो’ का विकल्प चुन लें.
    बस हो गया..
    कितना सरल है न हटाना और उतना ही मुश्किल
    इसे भरना!! यकीन मानिये!!.

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  4. आने वाले समय का भयावह चित्रण ...इससे तो बेहतर है कि कोई फैसला आये ही नहीं

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  5. अच्छी भाव अभिव्यक्ति

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