बहुत हुआ आज ना आंसू बहाना है,
आज ना कोई दर्द का गीत गाना है,
लिखना ना आज किसी का गम मुझे,
आज ख़ुशी के सुर में झूम जाना है ,
ना आज कोई वीरान रह नज़र में,
ना कोई कांटें डगर में,
ना अब टूटे दिल का हाल सुनाना है,
बहुत हुआ आज ख़ुशी के सुर में,
मदमस्त हो झूम जाना है|
लिखूं सोन्दर्य की निशनियाँ,
हो गीत सावन के होठों पर,
बोलूं तितलियों की जुबनियाँ,
छोड़ रक्त से सनी वादियाँ,
प्रेम की रित पर,
अपने मनमीत पर,
अब मुझे भी कलम चलाना है,
आज ना कोई दर्द का गीत गाना है,
लिखना ना आज किसी का गम मुझे,
आज ख़ुशी के सुर में झूम जाना है ,
ना आज कोई वीरान रह नज़र में,
ना कोई कांटें डगर में,
ना अब टूटे दिल का हाल सुनाना है,
बहुत हुआ आज ख़ुशी के सुर में,
मदमस्त हो झूम जाना है|
मित्र,साथी, दोस्त ,सखा,
अपना पराया छोटा और बड़ा,
सभी का एक सुर में कहना है,
गम ज़िन्दगी का लिख ,
आंसू से पन्नो को सींच ,
कलम की धार से दुनियां पर,
वार कर आखिर क्या पाना है,
बहुत हुआ आज ख़ुशी के सुर में,
मदमस्त हो झूम जाना है,
आज पंछियों के बसेरे,
उनके घोसलों के उन,
सुन्दर ,सुकोमल शिशुओ,
के प्रीत भरे शोर को सुन ,
उनकी और बढ़ते नाग रूपी
काल को भुल जाना है,
बहुत हुआ आज ख़ुशी के सुर में
मदमस्त हो झूम जाना है|
कल कल करती नदियों,
साहिल के सर्पीले मोड़ों,
हवा के उन शीतल झोंको ,
प्रकति के अपार तोहफों,
के गीत गुण गुनाते हुए ,
भूख प्यास से मरे उन कंकालों को
अब मुझे नकार जाना है|
प्रकति के अपार तोहफों,
के गीत गुण गुनाते हुए ,
भूख प्यास से मरे उन कंकालों को
अब मुझे नकार जाना है|
बहुत हुआ आज ख़ुशी के सुर में,
मदमस्त हो झूम जाना है|
हसीना की जुल्फों में खोकर, लिखूं सोन्दर्य की निशनियाँ,
हो गीत सावन के होठों पर,
बोलूं तितलियों की जुबनियाँ,
छोड़ रक्त से सनी वादियाँ,
प्रेम की रित पर,
अपने मनमीत पर,
अब मुझे भी कलम चलाना है,
बहुत हुआ आज ख़ुशी के सुर में,
मदमस्त हो झूम जाना है| मैं शतुरमुर्ग बन लिख गीत
प्यार,सोन्दर्य के देता हूँ |
प्यार,सोन्दर्य के देता हूँ |
दर्द देख मोड़ आँख लेता हूँ|
ख़ुशी के सुरों को सुना
खुशियाँ बिखेर देता हूँ |
आज मैं भी लिख ख़ुशी के गीत
मदमस्त हो झूम लेता हूँ
खुशियाँ बिखेर देता हूँ |
आज मैं भी लिख ख़ुशी के गीत
मदमस्त हो झूम लेता हूँ