Tuesday, August 14, 2012

क्या ख्वाब था क्या हो गए


एक ही टीस मन में उठती है,
क्या ख्वाब  संजोया था और क्या हो गए,
सोचा था हमने कुछ ज़माने को दे जायेंगे,
दो लम्हे ख़ुशी के, दो पल की मुस्कराहट,
कुछ ज़हन में छपी तस्वीरे छोड़ जायेंगे ,
विदा जब होंगे इस जहान से एक याद बन,
सबके दिलो को उल्लास से भरकर जायेंगे,
मगर ज़माना इतना भी अपना ना हुआ,
बस दर्द भरी यादों से झोली को है भरा,
अब सोचते है खुद को यादो से मिटा जायेंगे,
ख़ुशी का कारण ना बने किसी की तो ना सही,
खौफज़दा ख्वाब बनने का खेल नहीं खेल पाएंगे|

Wednesday, August 1, 2012

विराम

आज खबर हमको हुई,
क्या विराम का अर्थ है,
क्या पीछे मुड़ने का महत्व,
कैसे जुड़े है अतीत भविष्य,
खुद ही की बनाई दुनिया में ,
बढ़ते हुए आगे राहों पर,
मंजिल का महज़ आभास है,
भूलते मकसद मंजिल का  ,
खो जाता  खुद का सपना ,
कितना अजब सफ़र है ये ,
आज हमको खबर हुई,
क्या विराम का अर्थ है।


ठहराव आलस्य का नहीं,
दर्शन-शास्त्र सा  संगी ,
अंधियारे में खोए  उसूलो को ,
 रोशन करने वाला चिराग  है,
आवारा ज़िन्दगी को  दिशा ,
लड़खड़ाते कदमो का सहारा, 
खुद से पहचान का पड़ाव है ,
है आत्ममंथन, अंत नहीं,
ज़माने  की बातों  से परे ,
आज हमको खबर हुई,
 क्या विराम का अर्थ है।।