Monday, May 4, 2009

गम का आशियाना

तू बदनाम न हो ज़माने में
इसीलिए मैं आ गया गम के आशियाने में
तेरे हुस्न पर ए हसीना
बेशक न कोई हक मेरा
पर यादें तो तेरी सिर्फ मेरी हैं
तेरी आँखों की वो हया , चेहरे की हँसी
वो शर्म वो हर एक अदा
कैसे मैं सब भुला दू
तू ही तो थी मेरी जीवन रेखा
राह भी तू मंजिल भी तू
हर मर्ज़ की मेरे तो दवा भी तू
बिन तेरे तो मैं बस एक पाषाण मूरत हूँ
जिंदा हूँ बस क्यूंकि दूजो की ज़रूरत हूँ
आँखों में बसी हैं एक तस्वीर तेरी
जो हर पल तेरी याद दिलाती हैं
तेरी दबी दबी सी हंसी वो बचकानी मीठी बातें
सब मेरे दिल को गुदगुदाती हैं
तू हर वक़्त हर पल बड़ा याद आती हैं
कहीं तू बदनाम ना हो ज़माने में
बस इसीलिए तो मैं आ गया
मैं गम के इस आशियाने में

2 comments:

  1. ye infatuation bhatka na de student life me.......
    ek maa kee see chinta.......

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  2. दूजो के आँसू अपनी आँखों में देख लेता हूँ|
    मेरे पास कलम का साथ है
    दूजो का दर्द उनसे लेकर पन्नों में बाँट देता हूँ|

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