इस ज़ख्म की दवा ना कर,
और दर्द की दुआ कर ले
इन घावो के भरने का नहीं
गहरे होने का उपाय कर दे
इस नासूर की कसक भुलाने को
ऐ ज़िन्दगी मौत का तोहफा दे दे
और दर्द की दुआ कर ले
इन घावो के भरने का नहीं
गहरे होने का उपाय कर दे
इस नासूर की कसक भुलाने को
ऐ ज़िन्दगी मौत का तोहफा दे दे
ना किसी का साथ ना सांत्वना
रंग बिरंगा माहौल नहीं
ना खुशियों की सौगात चाहता हूँ
ऐ बेवफा ज़िन्दगी,
मैं तुझसे निजात चाहता हूँ
गए नैन भुल आँसुओं का रस,
विचलित नहीं करता दर्द भी कमबख्त,
श्वास में प्राणों का संचार नहीं,
इस निरह जीवन का कोई सार नहीं,
मेरे लक्ष्यहीन सफ़र को अब विराम दे दे,
ऐ ज़िन्दगी मौत का तोहफा दे दे |
हर कदम पर स्वार्थ से सने,
दानवो से बदतर मानव खड़े है,
इंसानियत की समाधि पर,
खुद ब्रह्मा भी रो पड़े है,
इस पाखंडी दुनियां को छोड़,
जा सत्य की धरा पर,
शिव से तांडव की गुहार करना चाहता हूँ ,
ऐ ज़िन्दगी में तुझसे निजात चाहता हूँ|
abe dukhi atma kuch khushi bhi daal diya kar apni kavitayon mein
ReplyDeleteभाई अगली रचना मैं बसंती फूल ,सावन की बहार ,चिड़ियों की चहचाहट ,कलियों का सोंदर्य बखान करती हुई रचना पेश करने की कोशिश करूँगा
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