तुझे कैसे कहूँ
तू क्या है मेरे लिए
मेरी आँखों में सच
तू पढ़ पाती नहीं
तेरे सामने यह जुबां
दिल का हाल बयां
कर पाती नहीं
डर है खो ना दूं तुझे
पाने की फितरत में
तभी ख़ामोशी की यह
दिवार मेरे ख्वाबो की
चोट से टूटती नहीं
है तेरी नज़र में मोहब्बत
जिसे मैं देख पाता हूँ
पर कहीं वो मेरी
ख्वाहिशो से उपजी
मरीचिका तो नहीं
तू मेरे साथ है
इसका ही सुकून है
तेरा अक्स हर दम
मेरी निगाहों में है
क्या यही कुछ कम है
खबर नहीं मुझको
क्या पाना चाहता हूँ
इज़हार मोहब्बत का कर
मेरी हर राह की
मंजिल है तू
शायद अब मंजिल
पाना चाहता हूँ
पर तुझे कैसे कहूँ
तू क्या है मेरे लिए
बड़ी प्यारी मनभावन रचना .....बहुत बढ़िया ..... होली की हार्दिक शुभकामनायें
ReplyDeleteहोली की शुभकामनायें...... हैप्पी होली
ReplyDeleteप्रशंसनीय.........लेखन के लिए बधाई।
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देश को नेता लोग करते हैं प्यार बहुत?
अथवा वे वाक़ई, हैं रंगे सियार बहुत?
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होली मुबारक़ हो। सद्भावी -डॉ० डंडा लखनवी
वाह ............अति सुन्दर
ReplyDeleteबड़ी प्यारी मनभावन रचना| धन्यवाद|
ReplyDeletenice
ReplyDelete.
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