कहा माँ ने एक दिन
थोडा सोना मोल लाना है
चाहे रुखी खा ले पर
बेटी का ब्याह रचाना है
विदा करना उसे उसके घर को
मुझे अपना क़र्ज़ चुकाना है
है दूल्हा अभी नजरो में
सम्मानित उसका घराना है
बस एक तोला सोना मोल लाना है|
थोडा सोना मोल लाना है
चाहे रुखी खा ले पर
बेटी का ब्याह रचाना है
विदा करना उसे उसके घर को
मुझे अपना क़र्ज़ चुकाना है
है दूल्हा अभी नजरो में
सम्मानित उसका घराना है
बस एक तोला सोना मोल लाना है|
सद्गुणों से समृद्ध है लाडली
चरित्र पावन गंगा सा है
खुशियाँ उसके कदमो की
लगता हम जोली है
क्रोध ,इर्ष्या ,लालच इनको
तो उसने ना पहचाना है
खुद में वह एक गुण-आभूषण
लगता हम जोली है
क्रोध ,इर्ष्या ,लालच इनको
तो उसने ना पहचाना है
खुद में वह एक गुण-आभूषण
फिर भी जाने क्यूँ जरूरी
वो एक तोला सोना है
खुद में वह एक गुण-आभूषण
ReplyDeleteफिर भी जाने क्यूँ जरूरी
वो एक तोला सोना है
अखिलेश यह प्रश्न हमारी पूरी सामाजिक व्यवस्था के लिए है..... बहुत सटीक और संवेदनशील भाव उकेरे हैं..... बधाई