Sunday, April 10, 2011

दोराही ज़िन्दगी

कोई सच कहे तो  ज़माना टोकता है,
झूठ कहे तो अजब अफसाना होता है,
ख़ामोशी जाने क्या बयां कर जाती है,
किसी को दोस्ती का रस,
किसी को द्वेष का बोध कराती है ,
जाने जिंदगी क्या चाहती है|



ज़माना कभी किसी का हुआ नहीं,
हर दिल को कभी किसी ने जीता नहीं,
खुद दुनिया बनाने वाला भी,
आधे जगत के लिए बुरा बन जाता है,
खुद खुदा पर भी ना रहम खाती है,
जाने जिंदगी किसकी साथी है |
मौत भी एक अजब राह है, 
हर सवाल का जवाब बन जाती है,
इस पर हर उलझन सुलझ जाती है,
हर भलाई जीवन की आसूं बनती है,
और दुनियां में सिर्फ अर्थी के पीछे ही 
हर जुबां से तारीफ सुनी जाती है|
जाने  जिंदगी क्यूँ इतना इठलाती है|
यह दो राही ज़िन्दगी 
हर  मुस्कराहट चुरा ले जाती है
मौत के बाद ही 
तोहफा ख़ुशी का दे पाती है |
जाने यह कैसी
जिंदगी  की पहेली है |

4 comments:

  1. मौत भी एक अजब राह है,
    हर सवाल का जवाब बन जाती है,
    इस पर हर उलझन सुलझ जाती है,
    हर भलाई जीवन की आसूं बनती है,
    और दुनियां में सिर्फ अर्थी के पीछे ही
    हर जुबां से तारीफ सुनी जाती है|
    जाने जिंदगी क्यूँ इतना इठलाती है|
    waah, bahut hi badhiyaa

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  2. मौत भी एक अजब राह है,
    हर सवाल का जवाब बन जाती है,
    इस पर हर उलझन सुलझ जाती है,
    हर भलाई जीवन की आसूं बनती है,
    और दुनियां में सिर्फ अर्थी के पीछे ही
    हर जुबां से तारीफ सुनी जाती है|
    जाने जिंदगी क्यूँ इतना इठलाती है|

    निशब्द करने वाली पंक्तियाँ हैं अखिलेश...... बहुत ही बढ़िया

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  3. bahut badia beta one of the best rachana of yours.
    ashirvad

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