Saturday, April 23, 2011

बुरा खुदा

उझडा जो आशियाँ तेरा,
क्यूँ आँखें तेरी नम हुई,
देख पलट जूती अपनी 
कितनी माटी है लगी हुई ,
कितने आशियाँ फूके तुमने,
जाने कितनी राहे वीरान की
दोष दूजो का समझ आता है,
बस गुनाह अपना छुट जाता है|
दूध के धुले है सब,
बुरा होने को बस खुदा बच जाता है|
शायद दोष है खुदा का,
जो तुझे सक्षम बनाया,
दी शक्ति बुद्धि की मगर 
आत्ममंथन ना सीखा पाया,
सुखो के मंदिर तोड़,
सुख को खोजता है,
दूजो के दर्द दे कर 
ख़ुशी  की लालसा है,
देख यह रूप अब तो,
दानव भी देव लगता है,
दूध के धुले है सभी
बुरा होने को तो बस खुदा बचता है|

4 comments:

  1. बहुत सुन्दर अभिब्यक्ति| धन्यवाद|

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  2. शायद दोष है खुदा का,
    जो तुझे सक्षम बनाया,
    दी शक्ति बुद्धि की मगर
    आत्ममंथन ना सीखा पाया,

    बहुत सुंदर .....

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  3. shabaash beta..... m proud of you :-)

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