मेरे परो की क्षमता को,
मापदंडो से ना परखो तुम,
मेरे ख्वाबो की उड़ान को,
मेरे कृत्यों से ना नापो तुम,
मैं पंछी मतवाला हूँ
तुम्हारी परिधि का दास नहीं,
प्रेम परिधि से बंधा हूँ,
पर यह ना समझो मुझे,
मेरी परिधि की पहचान नहीं|
मापदंडो से ना परखो तुम,
मेरे ख्वाबो की उड़ान को,
मेरे कृत्यों से ना नापो तुम,
मैं पंछी मतवाला हूँ
तुम्हारी परिधि का दास नहीं,
प्रेम परिधि से बंधा हूँ,
पर यह ना समझो मुझे,
मेरी परिधि की पहचान नहीं|
अभी खामोश हूँ मैं ,
नहीं कोई हरकत है परो में,
लगता हिम सा शीत अंतर,
बेजान लगते है इरादे मेरे,
देख मुझे ना उपहास करो ,
जग कल्याण की खातिर,
है चिर समाधी धरी मैंने ,
है दिनकर सा ताप मुझमे,
हूँ अनंत का वारिस मैं ,
दिखलाता हूँ नहीं मगर
है मेरी परिधि अनंत से परे|
निर्बलता की मूरत नहीं ,
विनाश का पर्याय हूँ,
थमा निस्वार्थ प्रेम बंधनों से,
नहीं सहस्त्र शस्त्र शक्ति से ,
मेरे शिव को ना ललकारो तुम ,
कहीं तांडव सा विनाश ना हो,
रोको अपने वारो को तुम ,
कहीं टूट ना प्रेम बंधन जाये,
करो सम्मान अपनी परिधि का,
कहीं मेरे पर ले मुझे
मेरी परिधि ना पहुच जाये|
विनाश का पर्याय हूँ,
थमा निस्वार्थ प्रेम बंधनों से,
नहीं सहस्त्र शस्त्र शक्ति से ,
मेरे शिव को ना ललकारो तुम ,
कहीं तांडव सा विनाश ना हो,
रोको अपने वारो को तुम ,
कहीं टूट ना प्रेम बंधन जाये,
करो सम्मान अपनी परिधि का,
कहीं मेरे पर ले मुझे
मेरी परिधि ना पहुच जाये|
मेरे परो की क्षमता को,
ReplyDeleteमापदंडो से ना परखो तुम,
मेरे ख्वाबो की उड़ान को,
मेरे कृत्यों से ना नापो तुम,
मैं पंछी मतवाला हूँ
तुम्हारी परिधि का दास नहीं,
प्रेम परिधि से बंधा हूँ,
पर यह ना समझो मुझे,
मेरी परिधि की पहचान नहीं|
really nice..
likhte rahen..
वाह बहुत ही सुन्दर
ReplyDeleteरचा है आप ने
क्या कहने ||
लिकं हैhttp://sarapyar.blogspot.com/
बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
ReplyDeleteshandar lekhan
ReplyDeleteभाव और अभिव्यक्ति दोनो ही खूबसूरत और शब्दों का सुंदर चयन...
ReplyDeleteअपनी परिधियों का न उल्लंघन करें न किसी को करने दे ...
ReplyDeleteअच्छा सन्देश है कविता में !
bahut sundar rachana.
ReplyDeleteरक्षाबंधन एवं स्वतन्त्रता दिवस पर्वों की हार्दिक शुभकामनाएं
ReplyDeletebahut sundar prastuti
ReplyDeleteमेरे परो की क्षमता को,
ReplyDeleteमापदंडो से ना परखो तुम,
मेरे ख्वाबो की उड़ान को,
मेरे कृत्यों से ना नापो तुम,
मैं पंछी मतवाला हूँ
तुम्हारी परिधि का दास नहीं,
bahut pasand aayee.
बेहद सुंदर रचना।
ReplyDeleteAkhilesh ji,
ReplyDeleteबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति , आभार.
कृपया मेरे ब्लॉग पर भी पधारने का कष्ट करें.
ek jheel jisme bheetar halchal hai par upar se shant ! bahut bhavpoorn rachna !
ReplyDeleteBehad sundar rachna :)
ReplyDeletebehatar .... abhar.
ReplyDeleteबहुत सुंदर भावपूर्ण रचना ..|
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