Friday, July 27, 2012

मैं


कोई मुझे मसखरा कहता है,
कोई खुशमिजाज़ कहता है,
कोई घमंडी तो कोई
निष्ठूर कहता है |
अलग हूँ मैं सबकी निगाहों में,
किसी की आँखों का कांटा भी हूँ ,
किसी की राह का पत्थर भी हूँ ,
बन हर किसी की जिंदगी का हिस्सा,
आने होने का अहसास कर रहा हूँ |

मेरी पहचान क्या है,
यह सवाल लिए जहन में,
ज़माने के संग चल रहा हूँ ,
कुछ अनजान सवालो में उलझ,
जहरीले  बोल कह देता हूँ ,
मेरी बात का यूँ बुरा ना मानो,
मैं अब भी खुद के कर्मो में,
खुद को खोज रहा हूँ ,

खता जो कभी की मैंने,
दिल से माफ़ी मांगता हूँ,
जिंदगी आसान है अगर,
तो मैं जिंदगी को नहीं जानता हूँ,
साँसों से रिश्ता जुड़ा है,
जमीं का आसरा भी है,
मगर जन्म लेना ही ,
जीवन का आरम्भ नहीं है|
अब मैं जीवन की शुरुवात,
का मौका खोज रहा हूँ|

4 comments:

  1. बेहतरीन प्रस्‍तुति।

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  2. मेरी पहचान क्या है,
    यह सवाल लिए जहन में,
    ज़माने के संग चल रहा हूँ ,
    कुछ अनजान सवालो में उलझ,
    जहरीले बोल कह देता हूँ ,
    मेरी बात का यूँ बुरा ना मानो,
    मैं अब भी खुद के कर्मो में,
    खुद को खोज रहा हूँ ,... सही एहसास है

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  4. khud ko khoj lene ki ek behtareen prastuti...

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