जंग है किसे प्यारी
पर सत्य है यह भी अडिग
कि है जंग मानुष कि जिंदगी सारी
जंग मानव का आभूषण है
जीत में वो रस नहीं
जो जंगी संघर्ष में है
मज़ा अंत में नहीं
आनंद तो नव आरंभ में है
मंजिल से क्यों डरना,
जहाँ साथ छोड़ दे नश्वर,
उसी को मंजिल समझना,
बंधन जीत का त्याग,
नभ में विचरण का विचार करो,
अपना चपल चंचल मनोरथ,
मुश्कुराहत के साथ पूर्ण करो,
हर डग पर छेडो राग ऐसा,
की धरा में वो घुल जाये,
बने नश्वर इश्वर डगर पर,
और इश्वर नतमस्तक हो जाये|............
पर सत्य है यह भी अडिग
कि है जंग मानुष कि जिंदगी सारी
जीवन की राहों में
जाने-अनजाने ही सही
कई जंग हम लड़ जाते है
कुछ जीत कर शोक मनाते
कुछ हारकर भी मुस्कुराते है
जीत मानव का ध्येय नहींजंग मानव का आभूषण है
जीत में वो रस नहीं
जो जंगी संघर्ष में है
मज़ा अंत में नहीं
आनंद तो नव आरंभ में है
सफ़र में जोश है जूनून है
मंजिल पर बस शांत सन्नाटा है
मौत मंजिल है, जीवन है सफ़र
याद सफ़र को करते है
दाद सफ़र को मिलती है
मौत अंत है सफ़र का
गाथाएँ लक्ष्य प्राप्ति पर
सुख-रसपान की सब बेमानी है
जियो सफ़र के हर पल को,मंजिल से क्यों डरना,
जहाँ साथ छोड़ दे नश्वर,
उसी को मंजिल समझना,
बंधन जीत का त्याग,
नभ में विचरण का विचार करो,
अपना चपल चंचल मनोरथ,
मुश्कुराहत के साथ पूर्ण करो,
हर डग पर छेडो राग ऐसा,
की धरा में वो घुल जाये,
बने नश्वर इश्वर डगर पर,
और इश्वर नतमस्तक हो जाये|............
good one ... specially the last few lines and that too " manzil mei sannata hai aur safar mein junoon " . It means a lot !!!
ReplyDeletelooking forward for some more masterpieces !!