अविरल बहते युग में
काल चक्र से परे
शास्त्र आलाप में
मैंनेभाव विहीन गरल को पीकर देखा हैं
मैंने युद्ध को जीते देखा हैं
कल ही आँगन में गूंजी थी एक किलकारी
बतिया थी बड़ी भोलीभली
इस लोक से परे परीलोक में जीता था
माँ के आँचल को वो अटूट ढाल समझता
उस मासूम बालक को मैंने
जंग में लोहा लेते देखा हैं
जंग में लोहा लेते देखा हैं
मैंने युद्ध को जीते देखा हैं
परिपक्व होते बाजुओ को
दादी के हाथो की लाठी
पिता की बाज़ार की चिंता
बहन के खेलो का साथी
घर की हर छोटी बड़ी बात में
उसे सयाना होते देखा हैं
मैंने युद्ध को जीते देखा हैं
पिता के कारोबारी साथ
माँ की आँखों के ख्वाब
बहन की मासूम लालसा
बहन की मासूम लालसा
दादी नानी की हर आशा
इन्ही इच्छाओ को पुरा करने में
उसे ख़ुद के सपनो से दूर होते देखा हैं
मैंने युद्ध को जीते देखा हैं
मस्तिष्क में सवाल जटिल
मन में अनदेखा आक्रोश
आंखों में अनजानी मंजिल
चेहरे पर अनजाना क्रोध ,
उसे मैंने ख़ुद में ही उलझे देखा हैं
मैंने युद्ध को जीते देखा हैं
बिखरे सपनो को चुनते हुए
उनसे आशियाना बुनते हुए
खोये हुए किसी सपने में
उसके लक्ष्य हीन कदमो को
अब एक दिशा में चलते देखा हैं
मैंने युद्ध को जीते देखा हैं
हर सवाल को जवाब बनते
हर सपने को यथार्थ में पलते
अनजानी राहो सी आते
उस सुरमई आलाप पर
बावले मन को मचलते देखा हैं
मैंने युद्ध को जीते देखा हैं
हर प्रेमग्रंथ के सार को
प्रेमावीना के हर तार को
मयूर के सावन नाच को
बसंत में भंवर व्यवहार को
एक ही दीदार में समझते देखा हैं
मैंने युद्ध को जीते देखा हैं
प्रेयसी दर्शन को व्याकुल मन
जैसे बिन वर्षा सावन
अधीरता छुपाने की खातिर
मन बहलाने की चाह में
उसे कलियों से बतियाते देखा हैं
मैंने युद्ध को जीते देखा हैं
प्रेम गीत की मधुर ताल में,
प्रेम सरोते के साहिल पर
प्रेम सरोते के साहिल पर
प्रेमी युगल हंस जोड़े का
प्रेम रस से अभिषेक होते देख
ऋतुराज को मदमस्त होते देखा हैं
मैंने युद्ध को जीते देखा हैं
नव चिंतन की भाषा से
जग के चिंतन को त्याग कर
प्रेम साहिल पर प्रेम वट की छाँव में
वासंती कलम से प्रेम रंग में
प्रेम काव्य को गढ़ते देखा हैं
मैंने युद्ध को जीते देखा हैं
जीवन की क्रीडा स्थली पर
समय बड़ा बलवान हैं
समय बड़ा बलवान हैं
स्थिर रहता कुछ भी नही
अविरल गति ही ईश्वरीय प्रावधान हैं
उसी गति में उसे बहते देखा हैं
मैंने युद्ध को जीते देखा हैं
खो वासंती बांसुरी के स्वरनिर्मम युद्ध के शंखनाद में
था हर वीर लड़ने को तत्पर
वीरगति पाने की आस में
उन्ही वीरो की धमनियों में
खौलते लावे को बहते देखा हैं
मैंने युद्ध को जीते देखा हैं
देश प्रेम का अप्रस्फुटित बीज
उस निश्चल ह्रदय में था दबा
युवा ह्रदय के उस बीज को
उस निश्चल ह्रदय में था दबा
युवा ह्रदय के उस बीज को
मातृभूमि की व्यथित पुकार
शत्रु की लोभी ललकार सुन,
वट वृक्ष में पनपते देखा हैं
शत्रु की लोभी ललकार सुन,
वट वृक्ष में पनपते देखा हैं
मैंने युद्ध को जीते देखा हैं
यौवन के भरपूर जोश मेंरंजिश के अंध आक्रोश में
कुछ कर गुजरने की चाह लिए,
एक काँटों भरी राह पर चल
उसे सेनानी बनते देखा हैं
मैंने युद्ध को जीते देखा हैं
माँ का दुलारा लाल जिसे
छूने से पहेले पवन भी
माँ के आँचल से पूछा करती थी
उसी लाल कि काया को पसीने,
और मिट्टी से लथपथ देखा है
मैंने युद्ध को जीते देखा है
मेहनत से दूर जीवन जिसका
बिता बड़े राजसी ठाठ से
उसे हरदिन श्रम की थकान से
ज़मीन पर गहरी नींद में
पसीने कि कीमत समझते देखा है
मैंने युद्ध को जीते देखा है
समय बहुत ही तेज है
परिवर्तन भी देते यही संकेत है
समय कि इसी धरा के संग
उसकी फूल सी काया को पत्थर
ह्रदय को चट्टान में बदलते देखा है
मैंने युद्ध को जीते देखा है|
माटी का चन्दन कर,
सीने में वायु भर कर,
मुश्किल कर्म को साधने ,
असंभव को संभव में बदलने,
की खातिर प्रकृति से लड़ते देखा है
मैंने युद्ध को जीते देखा है|
शत्रु संहार की शक्ति,
शहादत करने का साहस,
स्वयं में समाहित कर,
भय को भी भयभीत करने,
उसे खुद अग्नि बदलते देखा है
मैंने युद्ध को जीते देखा है |
ख़ुशी और उत्साह चरम पर
व्याकुल सबका अंतर
आँखों में गर्व और आंसू लिए
उसके अपनों को उसका
इंतज़ार करते देखा है
मैंने युद्ध को जीते देखा है
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सुख -दुःख ,धुप-छाँव |
है यह सतत बदलाव
भोग चूका इतिहास सभी
शांति और जंग के प्रभाव
मगर आज फिर सरहद पर
चिंगारी को उठते देखा है
मैंने युद्ध को जीते देखा है|
मातृभूमि की सुरक्षा को
वीरगति की अभिलाषा को
आँखों में प्रचंड क्रोधाग्नि
माथे पर बाँधे कफ़न
वीर जवानो को मैंने
सरहद की ओर बढते देखा है
मैंने युद्ध को जीते देखा है|
वीरगति की अभिलाषा को
आँखों में प्रचंड क्रोधाग्नि
माथे पर बाँधे कफ़न
वीर जवानो को मैंने
सरहद की ओर बढते देखा है
मैंने युद्ध को जीते देखा है|
जंग सिर्फ रक्त चाहती है
धारा अपने लाल खोती है
जीत-हार की परिभाषा
जीत-हार की परिभाषा
बस किताबो में सयानी है |
मैंने नरसंहार में सहस्त्र
घावों को लगते देखा है
मैंने युद्ध को जीते देखा है|
घावों को लगते देखा है
मैंने युद्ध को जीते देखा है|
your words are pearls and this lovely poem is a necklace...................invaluable.....................
ReplyDeletebrought tears in my eyes.......................:)
युद्ध जीवन की अभिलासा है
ReplyDeleteसंघर्ष समय की परिभाषा है
जीवन-मृत्यु के अविरल पथ पर
वीर-अटल सेनानियों को
सिंघनाद करते देखा है
मैंने युद्ध को जीते देखा है|
nice Mr. Akilesh really, really nice.
ReplyDeletehave a request. please write something on ur sweet roommate
ReplyDeletepretty gud....keep up d wrk
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