Wednesday, September 8, 2010

मेरी अर्थी

मेरी अर्थी को कन्धा देने वालों,
मुझे इतना तो बतला दो,
मेरी लाश सच्ची है
या है रूह में सच्चाई,
मेरी ज़िन्दगी से मौत अच्छी है,
जो अपनों को मेरे पास ले आई,
दे रहे है जो मुझको अंतिम विदाई,
बरबस अश्को की सलामी से,
इतना बतला दो क्यों नहीं बहे,
दो बूँद भी मेरी लाचारी पर|


जाने कितनी कसक लिए,
जाने कितनी  शिकायत लिए,
जाने कितने  ख्वाब कितनी ख्वाहिशे लिए,
पुरे जीवन की पूंजी लिए,
ज़िन्दगी के  हर दर्द को लिए,
चली फूलों से सजी अर्थी मेरी,
मेरी अर्थी को फूलों से सजाने वालों,
बस इतना बतला दो क्यूँ ये फूल
नहीं मिले ज़िन्दगी की राहों में |

तन्हाई मेरी संगिनी थी,
थी हर मोड़ पर साथ मेरे,
जब दुःख ने घेरा मुझे,
जब सुख की दस्तक हुई,
जब दर्द असहनीय था
जब मौज से जीवन भरा था,
मेरे पीछे रोने वालों
बस इतना बतला दो
कब तक साथ निभा पाओगे,
यादों में कब तक ला पाओगे|
ज़िन्दगी की बंदिशों से आजाद हो,
बनावटी दुनिया से दूर,
मेरी अर्थी  अब चल पड़ी है,
खुले आसमां में उड़ने को,
माटी  में जा मिलने को,
 फूल की सुगंध बनने को,
नदियों में स्वछन्द तेरने को,
मुझे अपना कहने वालों
बस इतना बतला दो क्यूँ
मौत को तमाशा बनाते हो,
 अर्थी को खून के आंसू रुलाते हो|

12 comments:

  1. उफ़ ……………॥बेहद मार्मिक चित्रण्।
    अब तो सब करेंगे क्योंकि कोई पूछने आने वाला जो नही है………………

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  2. आप की रचना 10 सितम्बर, शुक्रवार के चर्चा मंच के लिए ली जा रही है, कृप्या नीचे दिए लिंक पर आ कर अपनी टिप्पणियाँ और सुझाव देकर हमें अनुगृहीत करें.
    http://charchamanch.blogspot.com


    आभार

    अनामिका

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  3. मेरी कृति को इतनी सराहना एवं सम्मान देने के लिए बहुत धन्यवाद् प्रेषित करता हूँ |

    आभारी
    अखिलेश

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  4. मुर्दापरस्ती इस ज़माने का दस्तूर है ! जीवित होने पर जिस व्यक्ति को को उपेक्षा और तिरस्कार भोगना पड़ता है मरणोपरांत उसीका महिमामंडन किया जाता है ! एक अत्यंत संवेदनशील रचना !

    http://sudhinama.blogspot.com
    http://sadhanavaid.blogspot.com

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  5. शुक्रिया चर्चा मंच पर आने के लिए. और कृपया आप अपने कमेन्ट में वर्ड वेरिफिकेशन हटा लें.

    हर पल होंठों पे बसते हो, “अनामिका” पर, ... देखिए

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  6. मेरी अर्थी को कन्धा देने वालों,
    मुझे इतना तो बतला दो,
    मेरी लाश सच्ची है
    या है रूह में सच्चाई,
    मार्मिक

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  7. बहुत ही सुन्दर भाव हैं...

    थोडा सा इसे और तराश दें और प्रवाह की धार तेज कर दें तो लाजवाब बन पड़ेगी..
    सुन्दर लेखन के लिए शुभकामनाएं..

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  8. रंजना जी शुक्रिया| कोई भी कला सिर्फ सराहना से नहीं निखरती| आपने मेरी कविता में जो खामी बताई है| अगली रचना के वक्त कोशिश करूँगा की उसमे कोई सुधार कर सकूँ|धन्यवाद

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  9. Rajpal bhai...aapne isme bahut chaapa hai...i am sure this is one of your best works if not the best...I loved it..beautifully written :)

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  10. bhai i m proud to have you as my brother.. seriously its completely a different side of yours.. i am not really able to express in such a good hindi as you can but in one word "hats off" and all the very best

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