बेवजह एक जंग सी छिड़ी है,
मेरे घर के सुन्दर आँगन में,
तलवार लिए हर भाई खड़ा है,
मंथरा सिंहासन पर बैठी है,
हो रहा ज़िन्दगी का सौदा,
अब तो चोपट की चालो से,
कोई ऐसा नहीं मिला जिसकी,
तलवार पर निर्दोष का लहू नहीं,
सब कुछ बिलकुल सही है मगर,
राम - कृष्ण की कोई खबर नहीं,
अब हर मनुज को बन कृष्ण,
विनाश का काल बनना होगा,
इस बार सुदर्शन से संहार नहीं,
बन सारथी हर भटके को,
सही पथ पर ले जाना होगा|
मेरे घर के सुन्दर आँगन में,
तलवार लिए हर भाई खड़ा है,
मंथरा सिंहासन पर बैठी है,
हो रहा ज़िन्दगी का सौदा,
अब तो चोपट की चालो से,
कोई ऐसा नहीं मिला जिसकी,
तलवार पर निर्दोष का लहू नहीं,
सब कुछ बिलकुल सही है मगर,
राम - कृष्ण की कोई खबर नहीं,
अब हर मनुज को बन कृष्ण,
विनाश का काल बनना होगा,
इस बार सुदर्शन से संहार नहीं,
बन सारथी हर भटके को,
सही पथ पर ले जाना होगा|
अब हर मनुज को बन कृष्ण,
ReplyDeleteविनाश का काल बनना होगा,
इस बार सुदर्शन से संहार नहीं,
बन सारथी हर भटके को,
सही पथ पर ले जाना होगा|
...बहुत सही ..