Monday, February 8, 2010

किशोर के दिल का हाल

बसंत  कई  बीत  गए
हम  तो  बिना  अपने  मीत रहे
खुदा  ने  सबका साथी   बनाया  है
पर  जाने  कहाँ   छुपाया  है
अब  तो  दुआ  है  यही
जल्दी  किसी  से  दिल  कि  प्रीत  बने
हमारा  अफसाना  भी  अब  प्रेमगीत  बने

सावन में मयूर के नाच से
कोयल कि मधुर कुक से 
भंवरे के कली कोतुहल से  
हिरन जोड़े स्वछंद विचरण से 
प्रेम भरे इस मौसम  में
कैसे अब शांत चित्त रहे
दुआ है यही की
हमारा अफसाना भी अब प्रेमगीत बने

पूर्णिमा के पूरण चंद की शीतल किरणे
अन्धयारी अमावस में तारों की अदभूत चमक
प्रथम प्रहर की वो शीतल पवन
ओस का वो तरुदल चुम्बन
देख यह नींद से अद्खुली आँखे
मनमीत की ही राह तके
दुआ है अब यही
हमारा  अफसाना भी अब प्रेमगीत बने

तन्हाई चुभती नहीं,
सच कहे तो तनहा है भी नहीं ,
यार दोस्तों का दामन थामे,
ज़िन्दगी सिर्फ कट ही रही
बिन साथी के दिख ना  कोई मंजिल रही
 अब साथ हम-दम का हो
और कोई ज़ीने की जिद मिले
दुआ है बस यही
हमारा अफसाना भी अब प्रेमगीत बने

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