Sunday, January 15, 2012

समझो सपनो का सच


छोड़ सपनो की दुनिया,
हकीकत में आने का दर्द,
सबको है खबर मगर,
कोई ज़िक्र करता नहीं,
मगर उस दुनिया की छाया
यहाँ लाने की सबको चाहत है,
नहीं कुछ भी असम्भव,
बस एक बार पाने का,
यत्न करने की देरी है|
है यही इस दुनिया खूबी,
हर कोई व्यस्त है अपनी,
जिंदगी की खोज में,
और बेखबर इससे की ,
आखिर खोजता क्या है,
हर राह को देख अब,
यूँ आशा का त्याग नहीं 
बस कर बंद नैन खुद से,
सवाल करने की देरी है|
मंजिल और रास्ता है वही,
जो सपना बनकर आता है,
हमेशा खुशी दे जाता है,
जिसके जाने का गम सताता है,
हर ज्ञानी अज्ञानी है जो,
सपनो से मुख मोड़ता है,
मंजिल जिंदगी की है यही,
हर राही अपना सा हो,
गम भी खुशी से हो,
हर राज़ का सच है यही,
बस सपने समझने की देरी है |

3 comments:

  1. सुंदर अभिव्यक्ति ....

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  2. .
    सुन्दर प्रविष्टि , सुन्दर भावाभिव्यक्ति, आभार.

    पधारें मेरे ब्लॉग पर भी और अपने स्नेहाशीष से अभिसिंचित करें मेरी लेखनी को, आभारी होऊंगा /

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  3. बहुत ही अच्छी.... जबरदस्त अभिवयक्ति.....वाह!

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