ख्वाबो की दुनिया में रहने दो,
कुछ पल गमो से दूर ले जाती है,
सच का भयावह चेहरे को
भूलने की महज एक यही
राह मुझको नज़र आती है,
कुदरत कितनी खूबसूरत है,
इसका अहसास मुझको कराती है,
मुझको तुम जगाना नहीं
बड़ी मुश्किल से नींद आती है|
यहाँ इंसान की कीमत है,
दिल के घावों का मरहम भी है,
यहाँ शहंशाह इंसानियत है,
किसी के मन में हैवान नहीं है,
दर्द सबका एक सा है यहाँ,
अनजान भी गले मिलते है,
किसी की खुशी में हो शरीक,
यहाँ सच में खुशी मनाई जाती है
मुझको तुम जगाना नहीं
बड़ी मुश्किल से नींद आती है|
आशियाँ सबका यहाँ मंदिर है,शक, ईर्ष्या, प्रतिशोध,क्रोध
इनका कोई ज़िक्र ही नहीं ,
इश्वर हर किसी में मौजूद यहाँ,
किसी मूरत की जरूरत नहीं,
ग्रंथो के सार की है समझ,
मगर ग्रन्थ कोई है नहीं ,
बिन धर्म की यह दुनिया,
एक नया धर्म सिखलाती है,
मुझको तुम जगाना नहीं
बड़ी मुश्किल से नींद आती है|
खुले जो नैन फिर वही ,
धमाके,शोर,झूठ का जहान,
फिर रख कदम शवो पर,
आगे बढ़ने का प्रावधान,
कातिलों,चोरों,डाकुओ का,
होता है जहां सम्मान,
देख चरित्र-पतन पुत्रो का
वसुधा खून के आंसू रोती है,
मुझको तुम जगाना नहीं,
बड़ी मुश्किल से नींद आती है|
प्रभावशाली रचना ..लाजवाब
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteमुझको तुम जगाना नहीं
ReplyDeleteबड़ी मुश्किल से नींद आती है|... इन पंक्तियों में सबकुछ सिमट आया है
behatarin rachna
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